कुछ अनकही यादें
रात गहरी होने को थी, कोहरे की चादर ओढे भिंनी भिंनी खुशबू लिए यह हवा मेरे शरीर को छूकर गुजरे,
एक साया बढ़ रहा था मेरी ओर, धुन्दली सी रोशनी थीे, आस पास उसके कदमों की आहट और एक हल्की सी खुशबू , दिल में एक धक,
रात के सन्नाटे में सांसो की आवाज़ ,नज़रों का मिलना
कोई हमसफर,मुझे अपने आग़ोश में लेकर
मेहसूस करने चला था वो बीते हुए दिन फिर से ख्वाबो को सच करने चला था।
अपने पहचान बहुत पुरानी ..मैं तेरे थी दिल की रानी
रात गहरी होने को थी, कोहरे की चादर ओढे भिंनी भिंनी खुशबू लिए यह हवा मेरे शरीर को छूकर गुजरे,
एक साया बढ़ रहा था मेरी ओर, धुन्दली सी रोशनी थीे, आस पास उसके कदमों की आहट और एक हल्की सी खुशबू , दिल में एक धक,
रात के सन्नाटे में सांसो की आवाज़ ,नज़रों का मिलना
कोई हमसफर,मुझे अपने आग़ोश में लेकर
मेहसूस करने चला था वो बीते हुए दिन फिर से ख्वाबो को सच करने चला था।
अपने पहचान बहुत पुरानी ..मैं तेरे थी दिल की रानी
हाँ सच ,
वो तुम ही तो हो
मेरे हमसफर, मेरे दोस्त ।