तेरे आगाँन कि बाती!
निकले तुम बाज़ार की ओर
जगमग दिवाली का बाजार
झालरों और पटाखों का अंबार
रोशन गालियां जगमग, लड़ियों से
है शहर रंगीन, सितारों से
तुम बटुए टटोलते अरमान पूरे करते
चकाचौंध भरे इस बाज़ार को खरीदने
सामान भर लिए कहीं भूल तो नहीं गए मुझे?
अरे! मैं हूँ! तुम्हारे सुनहरे सपने!
बचपन की यादें, चौखट पे टिमटिमते दिए!
अरमानों की बाती, तुम्हारी बगिया में उजाला है लाती
माँ से ज़िद करके तुम दो बाती और जलाते
आंगन में फुलझड़ियां लगाते
बिखरें हैं बाजार में उम्मीद लिये – कोई मुझे भी लेकर जाए
बीते सपनों की यादें जिये
अपने चौखट आंगन में
टिम टिम करते सजाय दिये!